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Friday, 11 September 2015

पति - पत्नी के बीच लड़ाई हुई...



पति - पत्नी के बीच लड़ाई हुई...
पत्नी बाजार जा के जहर लाई और खा लिया....
..
लेकिन वो मरी नहीं, बीमार हो गई..

पति गुस्से से बोला...
....

सौ बार कहा है, चीजें देख कर खरीदा करो,
पैसे भी गये और काम भी नहीं हुआ।



एक बार एक आदमी ने अपने सबसे अच्छे दोस्त को घर पर खाने पे बुलाया..
:
वो भी 7 बजे शाम को ऑफिस छुटने के बाद, बीवी को बिना बताए .....
:
दोस्त को देखते ही बीवी का चिल्लाना शुरू ...
:
बीवी: मेरे बाल देखो..., मैंने मेकअप नहीं किया हुआ..!
घर की हालत देखो.., मैं अभी तक गाऊन में हूँ..!
और मैं आज इतनी थकी हूँ कि रात का खाना नहीं बना सकती...
:
क्या सोच के तुमने अपने दोस्त को घर बुला लिया...
मुझसे बिना पूछे.. बोलो..?
:
पति: क्योंकि , जानू ये बेवकूफ शादी करने की सोच रहा था..
:
मैंने कहा पगले पहले एक डेमो तो देख ले..


पति-पत्नी, एक बनाया गया रिश्ता

पहले कभी एक दुसरे को देखा भी नहीं था,
अब सारी जिंदगी एक दुसरे के साथ,
पहले अपरिचित, फिर धीरे धीरे होता परिचय,
धीरे धीरे होने वाला स्पर्श, फिर नोकझोंक....झगड़े....बोलचाल बंद...
कभी जिद...कभी अहम का भाव,
फिर धीरे धीरे बनती जाती प्रेम पुष्पों की माला।
फिर एकजीवता...तृप्तता,
वैवाहिक जीवन को परिपक्व होने में समय लगता है,
धीरे धीरे जीवन में स्वाद और मिठास आती है,
ठीक वैसे ही जैसे, अचार जैसे जैसे पुराना होता जाता है,
उसका स्वाद बढ़ता जाता है।
पति पत्नी एक दुसरे को अच्छी प्रकार जानने समझने लगते हैं,
वृक्ष बढ़ता जाता है, बेलाएँ फूटती जातीं हैं, फूल आते हैं, फल आते हैं....
रिश्ता और मजबूत होता जाता है।
धीरे धीरे बिना एक दुसरे के अच्छा ही नहीं लगता।
उम्र बढ़ती जाती है, दोनों एक दुसरे पर अधिक आश्रित होते जाते हैं,
एक दुसरे के बगैर खालीपन महसूस होने लगता है।
फिर धीरे धीरे मन में एक भय का निर्माण होने लगता है,
" ये चली गईं तो, मैं कैसे जिऊँगा ? " " ये चले गए तो, मैं कैसे जीऊँगी ? "
अपने मन में घुमड़ते इन सवालों के बीच जैसे, खुद का स्वतंत्र अस्तित्व दोनों भूल जाते हैं।
कैसा अनोखा रिश्ता... 
कौन कहाँ का.....
एक बनाया गया रिश्ता.....
पति पत्नी.............

एक पति की कलम से....

"मेरी पत्नी शिक्षक नही, पर बच्चों की सबसे बड़ी गुरु वही है ।
वो चिकित्सक भी नही, पर हमारे हर मर्ज का इलाज है उसके पास।
वो एम.बी.ए. भी नही, पर घर/बाहर का मेनेजमेन्ट जानती है बखूबी ।
वो गणित मे कमजोर थी, फिर भी दुखों का घटाव और खुशियों का जोड़ गुणा जाने कैसे करती थी..?
उसके पास कोई डिग्री नही, पर लगता है उससे बड़ा कोई संस्थान नही।
ऎसा संस्थान जहाँ, बच्चों का हर "डाटा ""फीड " है,
मुझ तक हर सूचना वहीं से आती है।
मैं अपने पिता ब्रम्ह होने का गर्व करूं, तब तक मानो वह सृष्टि ही रच आती है।

आप की बीवी कितना तेज दौड़ सकती हैं यह देखना है तो जोर से चिलाइये,

दुध उबल रहा है...😝

आप के पति कितना तेज दौड़ सकते हैं यह देखना है तो जोर से चिलाइये,

फोन बज रहा है, उठाऊ....😝
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